Add To collaction

यादों के झरोखे से लेखनी कहानी मेरी डायरी-14-Nov-2022 भाग 19


                         नैनीताल यात्रा
                         ************

              वहाँ सभी दर्शनीय स्थल देखने के बाद हम होटल वापिस आगये। वहाँ आकर होटल वाले को खाने का आर्डर दिया ।

      खाना खाकर हम सोगये और सुबह जल्दी ऊठकर नहाकर यन्दिर गये क्यौकि आज हनुमान जन्मोत्सव था। वहाँ से प्रसाद लेकर प्रसाद चढा़या हनुमानजी की पूजा आरती की । इसके बाद वहिँ घूम कर दर्शनीय स्थलौ का दर्शन  किया। उसके बाद हमने एक टैक्सी किराये पर ली जिससे  हमने हनुमानगढी चलकर दर्शन कराने व हमारी जहाँ पर टैक्सी खडी़ थी हमें वहाँ छोड़ने तक की बात की। 

   हम उस टैक्सी से सबसे पहले हनुमान गढी़ पहुचे। वहाँ जाकर हमें मालूम हुआ  कि इस मन्दिर का निर्माण नीम करौली बाबा ने करवाया था जिसका इतिहास यह है:-

         यह मंदिर महान पौराणिक महत्व रखता है क्योंकि इसे नीम करोली बाबा ने बनवाया था जो 1950 के दशक के दौरान एक प्रसिद्ध संत थे। मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है, जिन्हें शक्ति, निष्ठा और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। भगवान हनुमान ने अपना पूरा जीवन अपने गुरु और मूर्ति भगवान राम की सेवा में समर्पित कर दिया। मंदिर में भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे क्षेत्र और स्थानीय लोगों की रक्षा और रखवाली करते हैं। प्रतिमा के ऊपर एक स्वर्ण छत्र भी स्थापित है।

             आंतरिक मंदिर में भगवान हनुमान की एक मूर्ति है जो उनकी छाती को खोलती है और उनके दिल में भगवान राम और देवी सीता के चित्र दिखाती है। भगवान हनुमान, जिन्हें मारुति नंदन के नाम से भी जाना जाता है, भगवान पवन (वायु) और अंजनी माता के पुत्र हैं। मंदिर में भगवान शिव और भगवान राम के भी मंदिर हैं।

           मंदिर रणनीतिक रूप से एक पहाड़ी पर स्थित है जहाँ से आपको सूर्योदय और सूर्यास्त का एक उत्कृष्ट दृश्य दिखाई देता है। आप मंदिर से तराई घाटी का एक उत्कृष्ट दृश्य भी देख सकते हैं। परिसर के भीतर, पहाड़ी के दूसरी ओर, शीतला माता और लीला साह बापू के आश्रम के मंदिर हैं।

              मंदिर वर्ष के लगभग हर समय सजाया जाता है। मंदिर में रामनवमी और नवरात्रि के दौरान एक विशेष सजावट और एक छोटा मेला आयोजित किया जाता है। सप्ताह के प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को स्थानीय लोग आते हैं और भगवान का आशीर्वाद लेते हैं।

        आगे का वर्णन अगले भाग में पढि़ये।

यादों के झरोखे से २०२२

नरेश शर्मा " पचौरी "

   18
5 Comments

Radhika

05-Mar-2023 08:20 PM

Nice

Reply

shweta soni

03-Mar-2023 10:06 PM

👌👌👌

Reply

अदिति झा

03-Mar-2023 02:31 PM

Nice 👍🏼

Reply